May your souls rest in peace and your parents and brother get the courage to face the situation. Although no one can even imagine their sorrow, but still........ :(
If still we (the whole society) don't do anything, then the day is not very far when I will find myself (or any of my family members) among the victims. And that day, I won't have any right to be sad or repent, because I'll be responsible for that in one or another form.
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आरक्षण पर प्रधानमंत्री के नाम खुला पत्र
आदरणीय प्रधानमंत्री जी, यह तो हम सबको बहुत अच्छे से पता है कि तुष्टिकरण विशुद्ध रूप से एक राजनैतिक उपकरण है। जहाँ भी तुष्टिकरण है, वहाँ वास्...
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धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रीयता, आज के परिपेक्ष्य में ये दोनों शब्द एक-सामान दिखाई देते हैं. किन्तु वास्तव में दोनों शब्दों के अर्थ अत्यंत ही ...
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Driven by the philosophy that peace of mind need not necessarily come by visiting centers of pilgrimage but by extending a helping hand to t...
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